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वाराणसी में गंगा नदी का पानी तेजी से बढ़ रहा है। इसके कारण शहर के सभी 84 घाट डूब चुके हैं। अभी गंगा खतरे के निशान से करीब 2.6 मीटर नीचे बह रही है, लेकिन फिर भी वरुणा नदी पर इसका असर दिखने लगा है। निचले इलाकों में पानी भर गया है, जिससे वहां के लोग अपने घर छोड़ने को मजबूर हो गए हैं। बढ़ते जलस्तर का असर खेतों पर भी पड़ा है, खासकर ढाब इलाके की खेती को नुकसान हो रहा है।
गंगा नदी का जलस्तर हर घंटे करीब 4 सेंटीमीटर की रफ्तार से बढ़ रहा है, लेकिन दोपहर में इसकी रफ्तार थोड़ी कम होकर 2 सेंटीमीटर प्रति घंटे हो गई। फिर भी गंगा अभी खतरे के निशान से लगभग 2.6 मीटर नीचे बह रही है। फिलहाल नदी का जलस्तर 68.64 मीटर तक पहुंच गया है। इसके कारण वाराणसी के सभी 84 घाट पानी में डूब गए हैं। अस्सी घाट पूरी तरह से जलमग्न हो चुका है।
सुबह के समय बनारस में बाढ़ का पानी मंच तक पहुंच चुका है। गलियों में शवों का अंतिम संस्कार किया जा रहा है। इस बाढ़ का असर वरुणा नदी पर भी देखा जा रहा है। पुराना पुल और कोहना क्षेत्र में नाले के रास्ते वरुणा का पानी अब लोगों के घरों में घुस चुका है। इस स्थिति के कारण ज्यादातर लोग अपने घर छोड़कर जाने लगे हैं।
तीन दिन पहले रात को वरुणा नदी के किनारे रेलवे लाइन के पास सलारपुर में नालों के जरिए बाढ़ का पानी बस्ती में घुस आया। अब वहां आधा दर्जन मकान पानी में डूबने लगे हैं। बाढ़ का पानी लोगों के घरों तक पहुंचने की कगार पर है। घाटों को डुबाने के बाद अब गंगा का पानी गलियों की तरफ बढ़ने लगा है।
ढाब इलाके की खेती पर बाढ़ का असर पड़ रहा है। मंगलवार को शहर में पानी बढ़ते-बढ़ते दशाश्वमेध घाट की जल पुलिस चौकी तक पहुंच गया। जल स्तर बढ़ने की वजह से हरिश्चंद्र घाट की गलियों में ही शवों का अंतिम संस्कार किया जा रहा है। शीतला मंदिर में गंगा का पानी घुसने की आशंका के चलते पुजारी ने मंदिर का सामान हटाकर सुरक्षित जगह पर रख दिया है।
नमो घाट पर बना सबसे बड़ा नमस्ते स्कल्पचर अब गंगा के पानी में डूबने लगा है। चिरईगांव का ढाब इलाका बाढ़ की चपेट में आता दिख रहा है। रामचंदीपुर से मोकलपुर तक सब्जियों की फसलें पानी में डूबने लगी हैं। जानकारी के लिए बता दें कि राजघाट पर चेतावनी का स्तर 70.262 मीटर है और खतरे का स्तर 71.262 मीटर है।